उसकी आँखों में मेरी मोहब्बत की चमक आज भी है ,
पर उसको मेरी मोहब्बत पर शक आज भी है ,
नाव पर बैठ कर हाथ धोये थे उसने ,
उस तालाब में उसकी मेंहदी की महक आज भी है ,
बहुत तन्हाई है मेरे गमो में मगर ,
मेरी यादो में उसकी पायल की छनक आज भी है ,
वो कहता हैं ,अब कुछ पहले सा नहीं है
मगर हम मिलते थे जहा , वो जमी वो फलक आज भी है .
लाख कोशिश करे वो अपनी मोहब्बत को नफरत से छुपाने की मगर ,
उसकी नफरत में मेरी मोहब्बत की झलक आज भी है .
छू तो नहीं पाया उसे प्यार से कभी ..
पर मेरे होठों पर उसके होठों की झलक आज भी है .
हर बार पूछते है , हमारी चाहत का सबब ..
वैसी ही इश्क की ये परख आज भी है ..
नहीं रह पाते वो भी हमारे बिना .
दोनों तरफ इश्क की दहक आज भी है
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